Saturday, May 31, 2008

आगे से ऐसी गुस्ताखी न होगी....

प्रिया जी मेरी लेखनी की तारीफ के लिए शुक्रिया। लेकिन ये लेखनी आप लोंगो की संगत का नतीजा है। अगर मैंने आप सब के सानिध्य में रहकर लिखना सिखा है तो जाहिर है कि आप लोंगो से बड़ा मैं कदापि नहीं हो सकता। इसलिए इस लघु मानुष पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखिये। वैसे मैं इतनी बड़ी गुस्ताखी तो कर ही नहीं सकता कि आपकी प्रतिक्रिया प्रकाशित न करूँ। फिर भी आपको लगता है कि ऐसा हुआ है तो मुझे माफ़ कर दीजिये। भरोसा रखिये कि आगे से ऐसी गुस्ताखी न होगी....

Wednesday, May 21, 2008

क्या मीडिया गुमराह करता है ?

हर दिन ख़बरों की भूख और आपस की होड़ ने मीडिया को कुछ भी दिखाने को मजबूर कर दिया है ...... आरुशी हत्याकांड में पुलिस का कहना है की मीडिया ने जांच को गुमराह किया है ... सही भी है कुछ चैनल्स ने पुलिस के जरा से बयान को बड़ा करके दिखाया और पुरा दिन फिर उसी न्यूज़ पर खेले ....... इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है की मीडिया ने पुलिस देक्लारेशन से पहले ही कातिल का पर्दाफाश करने का दावा किया है और बाद में ग़लत निकलने पर ख़ुद का पल्ला झड़ने की कोशिश की है ,..... लेकिन मेरा सवाल ये है की अगर मीडिया इस केस को इतना नही उचालती तो क्या इस केस की इतनी परतें सामने आती या फिर हिघ प्रोफाइल केस बनकर एक और जुर्म पैसों के बोझ के नीचे दफ़न हो जाता ..... आपके विचार और राय का मेरा आसमान पर स्वागत है