एकाएक मंत्री जी
कोई बात सोचकर मुस्कुराये,
कुछ नए से भावः उनके चेहरे पे आए
उन्होंने अपने पीए से पूछा-
क्यों भाई, ये डेमोक्रेसी क्या होती है
पीए कुछ झिझका, साकुचाया शर्माया
-बोलो बोलो डेमोक्रेसी क्या होती है
- सर जहां जनता के लिए जनता के द्वारा जनता की ऐसी तेसी होती है वहीं डेमोक्रेसी होती है
अशोक चक्रधर की कविता से
Saturday, May 2, 2009
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