Sunday, February 8, 2009

हिन्दुत्व का चोला ओड़े मीडिया और टीवी जगत

धर्म हमारी जरूरत है या सत्ता भोग का एक रास्ता...कह नहीं सकते सच तो ये है कि अलग अलग लोगों के लिए ये अलग अलग मायने रखता है या उनके अलग अलग साध्यों को पूरा करता है..... अपने आपको धर्म,जाति या सत्ता से अलग करने वाला मीडिया कैसे धर्म और जाति के चक्कर में फंसता चला गया जानना रोचक होगा.. सच तो ये है पत्रकारिता के मूल्यों से दूर जाता मीडिया जगत पत्रकारिता से इतना दूर चला गया है की सम्भलना भी मुश्किल होगा... नेताओं की किसी विशेष धर्म के प्रति बढ़ती आस्था और दिए गए कमेंट्स को मीडिया जिस चाव के साथ दिखाता है और दिखाकर दिनभर की टीआरपी बटोरता है वो खुद हिन्दुत्व का चोला ओड़े हुए है इस बात के प्रमाण भी हैं... किसी भी चैनल पर नजर डालें तो आपको धर्म-कर्म के कई प्रोग्राम दिखाई देंगे.. लेकिन इन सभी प्रोग्राम और सभी न्यूज चैनल्स में एक ही बात कॉमन है वो है हिन्दू आस्था.. शुरू करते हैं सुबह के ०६-०६.३०बजे से... न्यूज पर पहला प्रोग्राम मंदिर के दर्शन... इसके बाद ये सिलसिला जो चलता है रुकने का नाम भी नहीं लेता.. मंदिर दर्शन के बाद सभी चैनलों पर जगह लेते हैं प्रवचन करते बाबा.. कभी स्वर्ग की सीड़ियां दिखाई जाती हैं तो कभी पाताल का रास्ता.. कभी धर्म के नाम पर डराते हैं तो कभी डरे हुए को धर्म से मुक्ति का रास्ता दिखाते हैं.... शबरी के बेर, शनिदेव, आपका दिन, राशिफल, कुंडली में राहु केतु और फिर उनसे बचने के उपाय न्यूज चैनल की जान हैं और टीआरपी का मुख्य जरिया... इसी के साथ एन्टरटेन्मेंट चैनल पर भी माता की चौकी, शिवजी, कृष्ण, राम ने अपनी जगह बखूबी बना रखी है.. ये एक खास वर्ग को एन्टरटेन करना चाहते हैं.. खासकर ऐसे न्यूज चैनलस को सैक्यूलर कहना गलत ही होगा

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