Saturday, May 31, 2008

आगे से ऐसी गुस्ताखी न होगी....

प्रिया जी मेरी लेखनी की तारीफ के लिए शुक्रिया। लेकिन ये लेखनी आप लोंगो की संगत का नतीजा है। अगर मैंने आप सब के सानिध्य में रहकर लिखना सिखा है तो जाहिर है कि आप लोंगो से बड़ा मैं कदापि नहीं हो सकता। इसलिए इस लघु मानुष पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखिये। वैसे मैं इतनी बड़ी गुस्ताखी तो कर ही नहीं सकता कि आपकी प्रतिक्रिया प्रकाशित न करूँ। फिर भी आपको लगता है कि ऐसा हुआ है तो मुझे माफ़ कर दीजिये। भरोसा रखिये कि आगे से ऐसी गुस्ताखी न होगी....

No comments: